परिचय
उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक चौंकाने वाला स्काम उजागर हुआ है, जहां एक कांस्टेबल की पत्नी ने अपने बीएड(शिक्षा प्रशिक्षण) कोर्स के लिए मिली छात्रवृत्ति में करीब 70,000 रुपये की धोखाधड़ी की है। यह मामला तहखाने में तब आया जब जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धन प्राप्ति का खुलासा किया।
छात्रवृत्ति धोखाधड़ी का विवरण
रेशमा सैफी, जो कि कानपुर में तैनात यूपी पुलिस के कांस्टेबल मोहम्मद आरिफ की पत्नी हैं, पर आरोप है कि उन्होंने अपनी मां का आय प्रमाण पत्र उपयोग कर फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति प्राप्त की। जबकि नियमों के अनुसार, शादी के बाद पति के आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इस धोखाधड़ी के चलते रेशमा ने दो साल में कुल ₹69,070 की छात्रवृत्ति ली, जिसमें ₹33,710 पहले साल और ₹36,360 दूसरे साल के लिए शामिल हैं।
बीएड प्रवेश और समय–सारणी
रेशमा ने नवंबर 2022 में मेरठ के इस्माइल नेशनल वीमेन पीजी कॉलेज से बीएड में प्रवेश लिया था। शादी से पहले और बाद के दस्तावेजों की जांच से पता चला कि उसने शादी के बाद भी फर्जी तरीके से मां का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया।
जांच और पुलिस कार्रवाई
इस मामले की शिकायत शास्त्री नगर के वकील मोहम्मद शाहिद ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और मेरठ एसएसपी को की। साक्ष्यों के आधार पर, कोतवाली पुलिस ने रेशमा के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल में मामला दर्ज किया। पुलिस जांच जारी है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
आरोपी का पृष्ठभूमि
रेशमा सैफी उम्र में कम और परिवारिक रूप से कानपुर में तैनात कांस्टेबल मोहम्मद आरिफ की पत्नी हैं, जो मुजफ्फरनगर के मिरपुर के सराय खेड़ी गांव के रहने वाले हैं। इस धोखाधड़ी कांड ने प्रदेश के सरकारी छात्रवृत्ति योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की छात्रवृत्ति योजनाएं और उनकी चुनौतियां
उत्तर प्रदेश सरकार हर साल पिछड़े वर्ग के लाखों छात्रों को छात्रवृत्ति देती है, जिसमें एससी–एसटी और अन्य वर्ग शामिल होते हैं। लेकिन कभी–कभी संस्थान और अधिकारियों की लापरवाही से लाभार्थी छात्रों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता या कुछ धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आती हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगभग छह लाख छात्रों को बोझिल फीज और छात्रवृत्ति राहत देने के लिए संसाधन आवंटित करने की बात कही है।
समान धोखाधड़ी के मामले
इस साल ही हश्रास में एक और बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है जिसमें मदरसे के पूर्व प्रिंसिपल और उनकी पत्नी पर ₹24.9 करोड़ के छात्रवृत्ति फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं। इससे पता चलता है कि छात्रवृत्ति धोखाधड़ी प्रदेश में कहीं दूर नहीं है।
निष्कर्ष
मेरठ में कांस्टेबल की पत्नी द्वारा की गई यह छात्रवृत्ति धोखाधड़ी एक गंभीर मामला है जो सरकारी योजनाओं में नियंत्रण व्यवस्था की आवश्यकता को दर्शाता है। पूर्वाभास और जांच के बाद ही कानूनी कार्यवाही पूरी की जाएगी। जनता और छात्र इस तरह की धोखाधड़ी से सतर्क रहे।
Disclaimer:
यह जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और आधिकारिक घोषणाओं पर आधारित है और केवल सूचनाात्मक उद्देश्यों के लिए प्रस्तुत की गई है। इस खबर में उल्लिखित किसी भी व्यक्ति या घटना की सत्यता की आधिकारिक पुष्टि संबंधित अधिकारियों द्वारा ही की जाती है।