लद्दाख: राज्य का दर्जा मांगते हुए लेह में उग्र प्रदर्शन, सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल जारी
लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश है जो भारत में स्थित है, और यह किसी राज्य का हिस्सा नहीं है। कई लोग पूछते हैं, “Is Ladakh in which state?” या “लद्दाख किस राज्य में है?” दरअसल, लद्दाख 2019 से एक अलग केंद्र शासित प्रदेश है, जो पहले जम्मू–कश्मीर का हिस्सा था। “लद्दाख भारत में है या पाकिस्तान में?” – यह पूरी तरह भारत में है, पाकिस्तान में नहीं। अब बात करें लद्दाख की प्रसिद्धि की, “Why is Ladakh famous for?” लद्दाख अपनी आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता, ऊँचे पर्वत दर्रों, बौद्ध मठों और साहसिक पर्यटन के लिए मशहूर है। हाल ही में, लेह शहर में राज्य का दर्जा की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय पर पथराव किया और एक पुलिस वैन को आग लगा दी। यह घटना 24 सितंबर 2025 को हुई, जब सोनम वांगचुक की अगुवाई वाली भूख हड़ताल के समर्थन में युवा सड़कों पर उतरे। क्यों हो रहा है यह आंदोलन? क्योंकि निवासी छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं ताकि स्थानीय स्वायत्तता मिले और सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे। लद्दाख के पर्यटन और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी असर पड़ रहा है।
मुख्य घटना का विवरण
लद्दाख में हाल की घटनाएं बेहद तनावपूर्ण रही हैं। लेह शहर में 24 सितंबर 2025 को राज्य का दर्जा की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों ने उग्र रूप ले लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रदर्शन शांतिपूर्ण शुरू हुआ लेकिन जल्द ही हिंसक हो गया। युवाओं ने बीजेपी कार्यालय पर पत्थर फेंके, और एक पुलिस वैन को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज से स्थिति को नियंत्रित किया। यह आंदोलन सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल से जुड़ा है, जो 14 दिनों से अधिक समय से चल रही है। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) की युवा शाखा ने बंद का आह्वान किया था, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। लद्दाख के निवासियों का कहना है कि 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राजनीतिक खालीपन बढ़ा है, जिससे संवैधानिक सुरक्षा की जरूरत महसूस हो रही है। घटना में कोई बड़ी चोट नहीं आई, लेकिन तनाव बना हुआ है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। इस बीच, कई लोग लद्दाख की यात्रा के बारे में सोचते हैं और पूछते हैं, “How to plan a 7 day trip to Ladakh?” एक सामान्य 7-दिन की यात्रा योजना इस प्रकार हो सकती है: पहले दिन लेह पहुंचकर आराम करें, दूसरे दिन स्थानीय दर्शनीय स्थलों जैसे शांति स्तूप और लेह पैलेस घूमें, तीसरे दिन खारदुंग ला पास से नुब्रा वैली जाएं, चौथे दिन नुब्रा का भ्रमण, पांचवें दिन पैंगोंग झील, छठे दिन वापसी में मठों का दौरा, और सातवें दिन प्रस्थान। लेकिन वर्तमान तनाव को देखते हुए यात्रा से पहले स्थिति जांचें। लद्दाख की ऊँचाई और मौसम को ध्यान में रखकर योजना बनाएं, जैसे acclimatization के लिए समय दें। यह घटना लद्दाख की सियासी अस्थिरता को उजागर करती है, जहां जलवायु परिवर्तन और विकास के मुद्दे भी जुड़े हैं।
विशेषज्ञों की राय
सोनम वांगचुक इस आंदोलन के केंद्र में हैं, और कई लोग पूछते हैं, “Why is Sonam Wangchuk so famous?” या “सोनम वांगचुक इतना प्रसिद्ध क्यों है?” वे एक इनोवेटर और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने आइस स्टूपा तकनीक विकसित की है, जो हिमालयी क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करती है। उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला है, और वे शिक्षा सुधार के लिए जाने जाते हैं। अब सवाल, “Is 3 Idiots inspired by Sonam Wangchuk?” हां, फिल्म ‘3 इडियट्स‘ में आमिर खान का किरदार फुंसुख वांगडू सोनम वांगचुक से प्रेरित है, खासकर उनकी इनोवेटिव शिक्षा पद्धति से। लेकिन “Is 3 Idiots based on a true story?” फिल्म पूरी तरह सच्ची कहानी पर आधारित नहीं है, बल्कि चेतन भगत के उपन्यास ‘फाइव पॉइंट समवन‘ और वास्तविक लोगों से प्रेरित है। “सोनम वांगचुक आईआईटी से है?” नहीं, उन्होंने NIT श्रीनगर से इंजीनियरिंग की है, IIT से नहीं। विशेषज्ञों की राय में, लद्दाख को छठी अनुसूची मिलनी चाहिए ताकि स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण रहे। पर्यावरण विशेषज्ञ कहते हैं कि बिना राज्य दर्जे के जलवायु परिवर्तन का मुकाबला मुश्किल होगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि केंद्र को जल्द कदम उठाने चाहिए। वांगचुक ने एक साक्षात्कार में कहा, “हमारी मांगें जायज हैं, और हम शांतिपूर्ण तरीके से लड़ेंगे।” उनकी विशेषज्ञता लद्दाख की अनोखी चुनौतियों को समझने में मदद करती है।
सरकारी/आधिकारिक बयान
केंद्र सरकार ने लद्दाख की मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए 20 सितंबर 2025 को घोषणा की कि अगली वार्ता 6 अक्टूबर 2025 को होगी। गृह मंत्रालय की उच्च स्तरीय समिति छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा पर चर्चा करेगी। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि सरकार लद्दाख के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, और 2019 के बाद बजट चार गुना बढ़ाया गया है। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने इस तारीख को देरी बताते हुए पहले वार्ता की मांग की है। लद्दाख प्रशासन ने हिंसा की निंदा की और कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखी जाएगी। सरकारी वेबसाइटों से मिली जानकारी के अनुसार, लद्दाख को विशेष दर्जा देने पर विचार चल रहा है। यह बयान संवैधानिक सुरक्षा की दिशा में एक कदम है, लेकिन स्थानीय नेता इसे अपर्याप्त मानते हैं।
जनता पर प्रभाव
लद्दाख के निवासियों पर इस आंदोलन का सीधा असर पड़ा है। लेह में बंद से दैनिक जीवन ठप रहा, दुकानें बंद और यातायात प्रभावित। सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल में शामिल लोगों की सेहत बिगड़ी, जिससे जनता में गुस्सा बढ़ा। युवाओं में बेरोजगारी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी से असंतोष है। लद्दाख का पर्यटन उद्योग, जो अर्थव्यवस्था का आधार है, प्रभावित हो सकता है। लोग पूछते हैं, “Why is Ladakh famous for?” मुख्य रूप से अपनी ऊँची झीलों जैसे पैंगोंग, बौद्ध संस्कृति, और साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग और बाइकिंग के लिए। लेकिन वर्तमान तनाव से पर्यटक डर सकते हैं। स्थानीय लोग राज्य का दर्जा न मिलने से भूमि और संस्कृति की चिंता कर रहे हैं। आंदोलन ने लेह और कारगिल में एकता बढ़ाई है, लेकिन हिंसा से छवि खराब हुई।
आगे की संभावनाएं
लद्दाख की स्थिति भविष्य में और जटिल हो सकती है। अगर 6 अक्टूबर की वार्ता सफल रही तो आंदोलन शांत हो सकता है, लेकिन देरी से उग्रता बढ़ेगी। विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि छठी अनुसूची लागू होने से स्थानीय स्वायत्तता मिलेगी, जो जलवायु परिवर्तन और विकास के लिए फायदेमंद होगी। सोनम वांगचुक जैसे नेता की भूमिका जारी रहेगी। अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन फैल सकते हैं। लद्दाख की यात्रा योजना बनाने वालों के लिए सलाह है कि वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखें। कुल मिलाकर, यह आंदोलन लद्दाख की पहचान और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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