RBI का बड़ा फैसला: 5.5% पर Repo Rate, GDP वृद्धि और महंगाई पर नई उम्मीदें!

RBI Monetary Policy

मुंबई: 5.5% पर RBI ने रखा Repo Rate, GDP वृद्धि 6.5% और महंगाई 3.1% का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को आगामी आर्थिक परिस्थितियों का आकलन करते हुए repo rate को 5.50% पर बनाए रखने का निर्णय लिया। यह निर्णय भारत की मौजूदा और भविष्यवाणी की गई आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। साथ ही लिक्विडिटी समायोजन सुविधा (LAF) के तहत स्टैंडिंग डिपॉजिट सुविधा (SDF) रेट 5.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा (MSF) रेट और बैंक रेट 5.75% पर स्थिर रखे गए हैं।

RBI का यह निर्णय CPI महंगाई दर को 4% तक लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए है, जबकि साथ ही आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा देना है। इस निर्णय का उद्देश्य महंगाई और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना है, ताकि देश की समग्र आर्थिक स्थिति बेहतर बने।

वैश्विक अनिश्चितताएं और भारत की आर्थिक वृद्धि

RBI की MPC ने यह भी कहा कि वैश्विक माहौल अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। हालांकि, वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और भूराजनीतिक असमंजसों में कुछ कमी आई है, लेकिन व्यापारिक समझौतों में अब भी चुनौतियां बनी हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वैश्विक वृद्धि अनुमान को ऊपर की ओर संशोधित किया है, लेकिन यह फिर भी सुस्त बना हुआ है।

भारत की आंतरिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है, और यह RBI के पूर्वानुमान के अनुसार ही विकसित हो रही है। हालांकि, वैश्विक मांग की दिशा अभी भी अनिश्चित बनी हुई है, विशेष रूप से चल रही टैरिफ घोषणाओं और व्यापार वार्ताओं के कारण।

भारत की घरेलू वृद्धि व्यापक रूप से उन्नत रही है, हालांकि वैश्विक अस्थिरता की वजह से कुछ बाहरी मांग में अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। यह देखा गया है कि वैश्विक व्यापारिक तनाव, जैसे कि चीनअमेरिका व्यापार संघर्ष, और वित्तीय बाजारों में उतारचढ़ाव, इन सभी कारकों ने वैश्विक वृद्धि को प्रभावित किया है।

GDP और महंगाई का अनुमान

2025-26 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि का अनुमान 6.5% पर कायम रखा गया है, जिसमें Q1 में 6.5%, Q2 में 6.7%, Q3 में 6.6%, और Q4 में 6.3% वृद्धि का अनुमान है। CPI महंगाई दर जून 2025 में लगातार आठवें महीने गिरकर 77 महीने के न्यूनतम स्तर 2.1% पर पहुंच गई, जो मुख्य रूप से खाद्य महंगाई में गिरावट के कारण हुआ।

यह गिरावट कृषि गतिविधियों में सुधार और आपूर्ति पक्ष उपायों का परिणाम है। सरकार द्वारा कई आपूर्ति प्रबंधन उपायों और खाद्य वस्तुओं के आयात में बढ़ोतरी से इस महंगाई में गिरावट आई है। हालांकि, कोर महंगाई (जिसमें खाद्य और ईंधन शामिल नहीं होते) में थोड़ा बढ़ोतरी देखी गई है। कोर महंगाई 4.1-4.2% के दायरे में रहने के बाद जून में 4.4% तक बढ़ गई है। यह मुख्य रूप से सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण हुआ।

महंगाई का नया अनुमान

MPC ने 2025-26 के लिए CPI महंगाई का अनुमान 3.1% रखा है, जो पहले के 3.7% के अनुमान से कम है। Q2 में महंगाई 2.1%, Q3 में 3.1%, और Q4 में 4.4% रहने का अनुमान है। वहीं, Q1:2026-27 के लिए महंगाई का अनुमान 4.9% है। इस दौरान, महंगाई की दर में थोड़ी अधिक वृद्धि देखने को मिल सकती है, लेकिन यह अभी भी काबू में रहेगी।

RBI ने यह भी कहा कि बाहरी दबावों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर वृद्धि की दिशा में अग्रसर है। हालांकि, वैश्विक व्यापार अस्थिरता और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के टूटने के कारण महंगाई में उतारचढ़ाव आ सकता है, लेकिन RBI ने महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए अपनी रणनीतियों को जारी रखने का संकेत दिया है।

RBI के गवर्नर का बयान

RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर वृद्धि की दिशा में अग्रसर है और मूल्य स्थिरता बनाए रखी गई है। मौद्रिक नीति ने महंगाई के अनुकूल दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए वृद्धि को समर्थन दिया है, बिना मूल्य स्थिरता के प्राथमिक उद्देश्य से समझौता किए।

उन्होंने आगे कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी सही जगह पाने के लिए मजबूत नीति ढांचे की आवश्यकता है, न कि केवल मौद्रिक नीति में बदलाव से। हम निरंतर डेटा और विकासमहंगाई की गतिशीलता के आधार पर एक सुविधाजनक मौद्रिक नीति प्रदान करने के लिए सक्रिय और लचीले रहेंगे।

निष्कर्ष

RBI की मौद्रिक नीति ने यह साबित किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद अपनी गति बनाए रखने में सक्षम है। RBI Monetary Policy के तहत, इस समय वृद्धि और महंगाई दोनों को नियंत्रित करने की एक संतुलित कोशिश की जा रही है, जो आगे चलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बना सकता है। RBI का यह निर्णय निवेशकों और सामान्य जनता दोनों के लिए महत्वपूर्ण संदेश है कि भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई और विकास दोनों को उचित संतुलन में बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

आगे बढ़ते हुए, RBI ने अपनी नीति को निरंतर लचीला और सक्रिय रखने का वचन दिया है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को बनाए रखा जा सके।

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