KDA का केंद्र से बातचीत इनकार: सोनम वांगचुक की रिहाई तक नहीं होगी वार्ता, न्यायिक जांच की मांग

लद्दाख में राजनीतिक संकट: KDA का केंद्र से बातचीत का बहिष्कार

कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) ने केंद्र सरकार के साथ होने वाली वार्ता से तब तक इनकार कर दिया है जब तक कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा नहीं किया जाता. यह निर्णय लेह में हुई फायरिंग की घटना की न्यायिक जांच की मांग के साथ आया है, जिसमें चार प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हो गई थी.

KDA की शर्तें और मांगें

KDA के सहअध्यक्ष आसगर अली करबलाई ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट रूप से कहा किजब तक सोनम वांगचुक की रिहाई नहीं होती, गिरफ्तारियां बंद नहीं होतीं और 24 सितंबर की घटना की न्यायिक जांच शुरू नहीं होती, हम केंद्र के साथ किसी भी चर्चा का हिस्सा नहीं बनेंगे“. KDA ने सरकार द्वारा लद्दाखी प्रदर्शनकारियों कोराष्ट्र विरोधीबताए जाने की भी निंदा की है.

करबलाई ने कहा, “हमें देशभक्ति के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। लद्दाखियों को राष्ट्र विरोधी बताना बंद करें“. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लद्दाख में अनुकूल माहौल बहाली के बाद ही वार्ता संभव हो सकेगी.

24 सितंबर की घातक घटना का विवरण

24 सितंबर 2025 को लेह में राज्यता की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें सुरक्षा बलों की फायरिंग से चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक लोग घायल हुए. मृतकों में एक पूर्व सैनिक त्सेवांग थारचिम भी शामिल था, जिसके पिता त्सेरिंग नामग्याल ने 32 साल तक देश की सेवा की थी.

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा का मुख्यालय, हिल काउंसिल कार्यालय और पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. पुलिस और सुरक्षा बलों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और फायरिंग का सहारा लिया. इस घटना के बाद लेह में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया गया था.

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और NSA का प्रयोग

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 25-26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया. वांगचुक को राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है, जहां उन्हें उच्च सुरक्षा वार्ड में 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी में रखा जा रहा है.

लद्दाख प्रशासन ने मंगलवार को वांगचुक के खिलाफचुड़ैल का शिकारके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमविश्वसनीय इनपुट और दस्तावेजोंपर आधारित थे. प्रशासन ने आत्मविश्वास जताया किमिलकर हम शांतिप्रिय लेह टाउनशिप में सामान्य स्थिति बहाल करेंगे और अपनी बातचीत की प्रक्रिया जारी रखेंगे“.

Apex Body Leh का समर्थन और एकजुट मोर्चा

लेह एपेक्स बॉडी (LAB) ने भी सोमवार को केंद्र के साथ बातचीत स्थगित करने का निर्णय लिया था. LAB के नेता थुपस्तान छेवांग और छेरिंग दोर्जे ने मांग की कि सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा किया जाए और फायरिंग की घटना की निष्पक्ष जांच हो.

6 अक्टूबर को गृह मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ निर्धारित बातचीत अब स्थगित हो गई है. KDA और LAB दोनों संगठनों ने स्पष्ट किया है कि वे संवाद के लिए खुले हैं, लेकिन केवल अपनी शर्तों के पूरा होने के बाद.

राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लेह में नागरिकों की हत्या की न्यायिक जांच की मांग की है. राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “हम इन हत्याओं की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग करते हैं और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। मोदी जी, आपने लद्दाख के लोगों के साथ विश्वासघात किया है“.

माकपा (मुक्ति) ने भी सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसेचुड़ैल का शिकारबताया है. पार्टी ने कहा कि यह गिरफ्तारी सरकार कीचुड़ैलशिकार की मानसिकताको उजागर करती है.

लद्दाख राज्यता आंदोलन की पृष्ठभूमि

लद्दाख में राज्यता और छठी अनुसूची की मांग का आंदोलन पिछले कई सालों से चल रहा है. अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों की मांग है कि उन्हें पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए.

सोनम वांगचुक इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं और उन्होंने लद्दाख की सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए लगातार संघर्ष किया है. सरकार ने आरोप लगाया है कि वांगचुक केउकसाने वाले बयानऔर राजनीतिक रूप से प्रेरित समूहों की गतिविधियों ने प्रदर्शनकारियों को भड़काया.

सुरक्षा एजेंसियों का पक्ष

लद्दाख पुलिस प्रमुख एस.डी. सिंह जमवाल ने शनिवार को दावा किया था कि सुरक्षा बलों ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की थी क्योंकि 5,000-6,000 लोगों की भीड़ लेह हिल डेवलपमेंट काउंसिल कार्यालय की ओर बढ़ रही थी और उन्हें खतरा महसूस हुआ था.

लद्दाख प्रशासन ने गुरुवार को वांगचुक द्वारा स्थापित SECMOL संस्था का विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम लाइसेंस भी रद्द कर दिया था. प्रशासन ने कहा कि हिंसा के मद्देनजर अधिनियम के कई उल्लंघन हुए हैं.

आगे की चुनौतियां और संभावनाएं

KDA और LAB के इस निर्णय से लद्दाख में राजनीतिक संकट और गहरा गया है. दोनों संगठनों ने अहिंसक प्रदर्शन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है और चेतावनी दी है कि लद्दाख को संघर्ष क्षेत्र नहीं बनना चाहिए.

KDA की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति फायरिंग की जांच के लिए हो, गिरफ्तार लोगों को रिहा किया जाए और सोनम वांगचुक के खिलाफ आरोप वापस लिए जाएं. करबलाई ने कहा, “हमारी मांगें वैध और न्यायसंगत हैं। बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं हो सकती“.

वर्तमान में लेह में कर्फ्यू में छूट दी गई है लेकिन तनाव बना हुआ है. न्यायिक जांच के लिए बढ़ता दबाव और राजनीतिक दलों का समर्थन इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ले आया है.

अस्वीकरण: यह जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और आधिकारिक घोषणाओं से ली गई है तथा केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। सभी तथ्य संबंधित अधिकारियों और समाचार स्रोतों से प्राप्त हैं।

Leave a Comment