परिचय
उत्तर प्रदेश के नोएडा से एक दर्दनाक दहेज हत्या की खबर सामने आई है, जहां ससुराल वालों ने दहेज न देने पर एक महिला को उसके बेटे के सामने ही जिंदा जला दिया। यह घटना दहेज प्रथा की कुप्रथा और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की ओर गंभीर चेतावनी है।
घटना का विवरण
पीड़िता, निक्की नामक महिला, 2016 में ग्रेटर नोएडा के सिरसा इलाके में शादी के बाद ससुराल में दहेज की मांग पूरी न होने पर उत्पीड़ित होने लगीं। आरोप है कि छह महीने के भीतर ही उनके ससुराल वालों ने दहेज के लिए दवाब बनाना शुरू कर दिया। महिला और उसकी बहन दोनों ही इस उत्पीड़न का शिकार रहीं।
पीड़िता के परिवार का बयान
निक्की की बड़ी बहन कंचन ने बताया कि उनका परिवार 36 लाख रुपये के दहेज की मांग से त्रस्त था। उन्होंने कहा कि जिस रात घटना हुई, उसी रात उन्हें भी मारपीट का सामना करना पड़ा। कंचन ने बताया, “हमारे ससुराल वालों ने कहा, ‘एक के लिए दहेज मिला, दूसरे के लिए क्या? तुम मर जाओ, हम फिर शादी कर लेंगे।’”
घटना का भयावह स्वरूप
उस रात निक्की को उनके बेटे के सामने पीटा गया और उस पर कोई ज्वलनशील द्रव डालकर आग लगा दी गई। कंचन ने कहा कि वे तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी बहन को बचा नहीं सकीं। घायल महिला को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह रास्ते में ही दम तोड़ गईं।
पुलिस की कार्रवाई
ग्रेटर नोएडा की कासाना पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। ईसडीसीपी सुधीर कुमार ने पुष्टि की कि महिला को फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां उनकी मौत हुई।
सामाजिक व कानूनी पहलू
दहेज के लिए महिलाओं पर होने वाला अत्याचार न केवल समाज की कटु सच्चाई है, बल्कि यह एक गंभीर अपराध भी है। भारतीय दहेज निषेध अधिनियम दहेज प्रताड़ना और हत्या के खिलाफ कड़े प्रावधान करता है। लेकिन इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि समाज में अभी भी दहेज प्रथा कितनी गहरे पैठी हुई है।
निष्कर्ष
नोएडा की यह घटना हमें दहेज प्रथा के खिलाफ चल रही लड़ाई की जटिलता और आवश्यकता दोनों से अवगत कराती है। हर संभव कदम उठाकर महिलाओं को सुरक्षा और न्याय दिलाना समय की मांग है।
डिस्क्लेमर
यह लेख सार्वजनिक स्रोतों और आधिकारिक घोषणाओं पर आधारित है। इसे केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए प्रस्तुत किया गया है।