रोहित शर्मा की कप्तानी का अंत: एक दोस्त, रणनीतिकार और मार्गदर्शक के रूप में कैसा रहा ‘हिटमैन’ का सफर?

भारतीय क्रिकेट के आसमान में जब भी कोई सितारा अपनी पूरी चमक बिखेरता है, तो उसकी कहानी हमेशा सीधी और सरल नहीं होती। कुछ ऐसी ही कहानी है रोहित शर्मा की, जिन्हें आज दुनियाहिटमैनके नाम से जानती है। एक वक्त था जब उनके करियर में अनिश्चितता के बादल छाए थे, और आज एक वक्त है जब उन्हें ODI कप्तानी से हटा दिया गया ह । लेकिन इस उतारचढ़ाव भरे सफर में, रोहित शर्मा सिर्फ एक बेहतरीन बल्लेबाज या सफल कप्तान नहीं रहे, बल्कि वह एक दोस्त, एक शानदार रणनीतिकार (tactician), और एक सच्चे मार्गदर्शक (guide) के रूप में उभरे हैं। उनकी कप्तानी का दौर भले ही अब समाप्त हो गया हो, लेकिन उनकी विरासत भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में हमेशा जिंदा रहेगी। चलिए, इस पूरे सफर को थोड़ा करीब से देखते हैं और समझते हैं कि एक कप्तान के तौर पर रोहित शर्मा ने टीम को क्या दिया।

शुरुआती संघर्ष से कप्तानी से हटाए जाने तक का चक्र

आज से लगभग 14 साल पहले, एक 24 साल का प्रतिभाशाली मुंबई का बल्लेबाज अपने करियर के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा था। लगातार अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के कारण उन्हें 2011 वर्ल्ड कप की टीम से बाहर कर दिया गया था। यह किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बहुत बड़ा झटका होता है, लेकिन रोहित शर्मा ने हार नहीं मानी। उन्होंने इस निराशा को एक अवसर में बदला और अपनी कमजोरियों पर काम करना शुरू किया। अपने मुंबई के साथी खिलाड़ी अभिषेक नायर के साथ मिलकर उन्होंने अपनी फिटनेस और तकनीक पर कड़ी मेहनत की, और एक विश्व स्तरीय खिलाड़ी बनने की ठान ली।

समय का पहिया घूमा, और वही रोहित शर्मा ODI क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में गिने जाने लगे। मध्य क्रम से सलामी बल्लेबाज बनने का फैसला उनके करियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। लेकिन आज, करियर के इस अंतिम पड़ाव पर, बीसीसीआई चयनकर्ताओं ने उनके सामने एक और बड़ी चुनौती खड़ी कर दी हैउन्हें ODI कप्तानी से हटा दिया गया है। अब उन्हें हर मैच में अपने बल्ले से रन बनाकर टीम में अपनी जगह को सही ठहराना होगा, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में किया था। अगर उनका सपना अगला ODI वर्ल्ड कप खेलने का है, तो यह राह बिल्कुल भी आसान नहीं होगी।

नेतृत्व कौशल का शिखर: जब रोहित ने दिलाईं दो ICC ट्रॉफी

एक खिलाड़ी के तौर पर रोहित शर्मा की काबिलियत पर कभी किसी को शक नहीं था, लेकिन उनकी असली पहचान उनके शांत और प्रभावशाली नेतृत्व कौशल (leadership skills) से बनी। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को दो बड़े ICC खिताब जिताए2024 T20 वर्ल्ड कप और 2025 चैंपियंस ट्रॉफी। यह एक ऐसी उपलब्धि है जो उन्हें सिर्फ एमएस धोनी के बाद दूसरा सबसे सफल भारतीय कप्तान बनाती है। उनकी कप्तानी में टीम ने आईसीसी टूर्नामेंट्स में शायद अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, भले ही 2023 ODI वर्ल्ड कप के फाइनल में टीम को ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा हो।

धोनी और कोहली से कैसे अलग थी रोहित की कप्तानी?

अगर विराट कोहली ने टीम में आक्रामकता और जीतने का जुनून भरा, तो रोहित शर्मा ने उस जुनून को सही रणनीति (strategy) और शांति देकर टीम को फिनिशिंग लाइन के पार पहुंचाया। उनकी कप्तानी में एक ठहराव था, जो दबाव के क्षणों में भी टीम को बिखरने नहीं देता था। वह एक ऐसे कप्तान थे जो अपने खिलाड़ियों को सुनते थे और उनकी समस्याओं को हल करने में मदद करते थे। उनकी क्रिकेटिंग समझ कमाल की थी। 2024 T20 वर्ल्ड कप के दौरान धीमी पिचों पर अक्षर पटेल को एक अतिरिक्त स्पिनर के तौर पर खिलाना और उन्हें बल्लेबाजी में फ्लोटर के रूप में इस्तेमाल करना, रोहित शर्मा की रणनीतिक प्रतिभा का एक बेहतरीन उदाहरण था।

मैनमैनेजमेंट के मास्टर: युवा खिलाड़ियों के लिए दोस्त और गाइड

रोहित की सबसे बड़ी खासियत उनका मैनमैनेजमेंट था। वह जानते थे कि हर खिलाड़ी अलग होता है और उसे अलग तरीके से संभालने की जरूरत होती है। अगर यशस्वी जायसवाल और सरफराज खान जैसे युवा खिलाड़ियों को उन्होंने अपने संरक्षण में लेकर सीखने का मौका दिया, तो ऋषभ पंत जैसे बिंदास खिलाड़ी को उन्होंने अपना स्वाभाविक खेल खेलने की पूरी आजादी दी। वह ड्रेसिंग रूम का माहौल हमेशा हल्का रखते थे, जिससे खिलाड़ी बिना किसी दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाते थे। यही वजह है कि युवा खिलाड़ी ध्रुव जुरेल उन्हेंबहुत चिलकप्तान मानते हैं, जो जूनियर्स को हमेशा सहज महसूस कराते हैं। वह एक कप्तान से बढ़कर एक दोस्त और गाइड की तरह थे।

नए कप्तान शुभमन गिल के लिए एक खुली किताब

अब भारतीय टीम की कमान नए कप्तान शुभमन गिल के हाथों में है। गिल, जो अभी 26 साल के हैं और टेस्ट टीम के भी कप्तान हैं, उनके पास सीखने के लिए बहुत समय है। और उनके लिए सबसे बड़े मार्गदर्शक रोहित शर्मा खुद होंगे। रोहित शर्मा को नियमित कप्तानी 34 साल की उम्र में मिली थी, तब तक वह आईपीएल में पांच खिताब जीतकर कप्तानी के हर दांवपेंच सीख चुके थे। शुभमन गिल उनके इस विशाल अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला 2027 वर्ल्ड कप को ध्यान में रखकर लिया गया है ताकि शुभमन गिल को तैयार किया जा सके। यह भी एक सच्चाई है कि रोहित शर्मा से पहले विराट कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ी ने भी उनकी कप्तानी में खेला और टीम के लिए अपना पूरा योगदान दिया। रोहित और विराट अब भी ड्रेसिंग रूम के सबसे वरिष्ठ और सम्मानित लीडर हैं, और उनका मार्गदर्शन गिल के लिए अमूल्य होगा।

क्या रोहितगिल की सलामी जोड़ी का जादू बरकरार रहेगा?

अब सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि एक सलामी जोड़ी के रूप में रोहित शर्मा और शुभमन गिल का प्रदर्शन कैसा रहता है। एक कप्तान और एक पूर्व कप्तान जब एक साथ बल्लेबाजी करने उतरेंगे, तो उनकी केमिस्ट्री टीम के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी। इन दोनों ने मिलकर 2,124 रन बनाए हैं, जिसमें उनका औसत 68.51 का रहा है। पावरप्ले में रोहित शर्मा का आक्रामक रुख शुभमन गिल को अपनी पारी संवारने का समय देता था। पहले यह फैसला रोहित का होता था, लेकिन अब इन रणनीतियों पर गिल ड्राइवर सीट पर होंगे। दोनों के बीच का तालमेल ही भारतीय टीम का भविष्य तय करेगा।

करियर के इस मोड़ पर एक नई हकीकत: अब बल्ले से देना होगा जवाब

पंद्रह महीने पहले, रोहित शर्मा देश के नायक थे। 2024 T20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद मुंबई की सड़कों पर खुली बस में उनका शानदार स्वागत हुआ था। लेकिन तब से चीजें थोड़ी बदल गई हैं। चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बावजूद उनकी फिटनेस चयनकर्ताओं को पूरी तरह से प्रभावित नहीं कर सकी। ODI कप्तानी से हटाया जाना उनके लिए एकलेट करियर रियलिटी चेककी तरह है। यह इस बात का अहसास है कि क्रिकेट में कुछ भी स्थायी नहीं होता।

जैसा कि रोहित ने खुद 2024 में न्यूजीलैंड से टेस्ट सीरीज हारने के बाद कहा था, “यह आपको बताता है कि जिंदगी में कुछ भी आसान नहीं है। एक दिन आप सफलता की ऊंचाइयों पर होते हैं, और अगले ही दिन नीचे। मैंने अपनी जिंदगी में यही सीखा है। अब उन्हें हर मैच में अपने बल्ले से प्रदर्शन करके टीम में एक सलामी बल्लेबाज के रूप में अपनी जगह बनाए रखनी होगी।

निष्कर्ष: एक विरासत जो हमेशा प्रेरित करेगी

रोहित शर्मा का ODI कप्तानी का दौर भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन उनकी विरासत हमेशा याद रखी जाएगी। उन्होंने टीम को मुश्किल पलों में जीतना सिखाया, ICC ट्रॉफी का सूखा खत्म किया, और सबसे बढ़कर, उन्होंने एक ऐसा माहौल बनाया जहां हर खिलाड़ी खुद को महत्वपूर्ण समझता था। उनका सफर, उनका नेतृत्व कौशल, उनकी रणनीतिक समझ, और उनका दोस्ताना व्यवहार नए कप्तान शुभमन गिल और आने वाली पीढ़ी के लिए हमेशा एक प्रेरणा स्रोत रहेगा। वह एक ऐसे कप्तान थे, जो वास्तव में एक दोस्त, रणनीतिकार, और सच्चे मार्गदर्शक थे।

अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख सार्वजनिक स्रोतों, आधिकारिक घोषणाओं और मीडिया रिपोर्टों से मिली जानकारी पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अपने विवेक का उपयोग करें।

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