
2026 से CBSE बोर्ड परीक्षा साल में दो बार: छात्रों और अभिभावकों की चिंताएँ
2026 से CBSE द्वारा साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के निर्णय ने छात्रों, अभिभावकों और स्कूलों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। यह कदम छात्रों को अधिक अवसर और लचीलापन देने का उद्देश्य रखता है, लेकिन इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं इस निर्णय के बारे में विशेषज्ञों और अभिभावकों की राय।
नई प्रणाली क्या प्रस्तावित करती है?
नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (NCF-SE) 2023 के तहत, CBSE ने कक्षा 10 और 12 के छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का अधिकार दिया है। इसमें छात्रों का सर्वोत्तम अंक रखा जाएगा। इस प्रणाली का उद्देश्य परीक्षा के दबाव को कम करना और छात्रों को एक ही अवसर में बेहतर प्रदर्शन करने का और मौका देना है।
स्कूलों, अभिभावकों और छात्रों की प्रतिक्रियाएँ
यह कदम कुछ शिक्षाविदों को छात्र–मित्र और सकारात्मक नजर आता है, लेकिन कई स्कूलों के प्रधानाचार्य और अभिभावक इसे लेकर चिंतित हैं। हैदराबाद के एक प्रसिद्ध CBSE स्कूल के प्रधानाचार्य का कहना है, “हम समझते हैं कि यह कदम छात्रों के हित में है, लेकिन इस बदलाव के लिए और बेहतर योजना की आवश्यकता है। दो बार परीक्षा, प्रैक्टिकल्स और प्री–बोर्ड्स का आयोजन छात्रों और शिक्षकों दोनों पर भारी दबाव डाल सकता है।“
गुरुग्राम के एक निजी स्कूल के शिक्षक का कहना है, “यदि शैक्षिक कैलेंडर का पुनर्निर्माण नहीं किया गया, तो यह बदलाव पूरी शिक्षा प्रणाली को तनाव में डाल सकता है।” स्कूलों को इस फैसले से जुड़ी समस्याओं, जैसे परीक्षा समय सीमाएँ और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के साथ तालमेल पर चिंता है।
अभिभावक भी इस बदलाव पर दो मत हैं। कोटा के कक्षा 11 के छात्र के पिता मनोहर सिंह का कहना है, “यह विचार कागज पर अच्छा लगता है, लेकिन JEE और NEET की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह पूरी तरह से कोचिंग समय सारणी को प्रभावित कर सकता है।” वहीं, मुंबई की कक्षा 9 के छात्र के पिता सचिन तावड़े का कहना है, “दो बोर्ड परीक्षाएँ एक साल में बच्चों के लिए चिंता को दोगुना कर सकती हैं। यह तनाव कम करने की बजाय और बढ़ा सकता है।“
छात्रों की चिंताएँ
छात्रों का कहना है कि पहले से ही स्कूल की परीक्षाएँ और कोचिंग का दबाव बहुत अधिक है। दिल्ली के कक्षा 11 के छात्र अंकित शुक्ला का कहना है, “हम पहले ही बहुत दबाव में होते हैं। साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देना केवल तनाव को बढ़ाएगा।“
हालांकि, कुछ छात्र इसे एक अच्छे अवसर के रूप में देख रहे हैं। बेंगलुरू के कक्षा 10 के छात्र सुजॉय का कहना है, “यदि पहले प्रयास में अच्छा प्रदर्शन नहीं हो पाता, तो दूसरा मौका मददगार होगा, लेकिन पूरे साल दोनों प्रयासों की तैयारी का दबाव बना रहेगा।“
CBSE 2026 बोर्ड सुधार की मुख्य विशेषताएं
- Exam Attempts: दो बार प्रति शैक्षिक वर्ष (सर्वोत्तम अंक बनाए रखे जाएंगे)
- Applicable To: कक्षा 10 और 12 से 2026 से
- Objective: तनाव कम करना, लचीलापन बढ़ाना
- Concerns Raised: समय तालिका की टकराव, मूल्यांकन का बोझ, बढ़ता तनाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुधार की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह सिस्टम कितनी अच्छी तरह लागू होता है, खासकर स्कूल स्तर पर शैक्षिक योजना और CBSE की कार्यक्षमता पर।
NPE 2020 के विजन में निहित
यह बदलाव NEP 2020 के सिद्धांतों पर आधारित है। NEP 2020 में प्रस्तावित था कि छात्रों को हर साल दो बार बोर्ड परीक्षाएँ देने का अवसर मिलना चाहिए, जिससे परीक्षा का दबाव कम किया जा सके।
CBSE के परीक्षा नियंत्रक डॉ. सन्यम भारद्वाज का कहना है, “यह निर्णय NEP-2020 की सिफारिशों के अनुसार लिया गया है। इसका उद्देश्य बोर्ड परीक्षाओं के ‘हाई–स्टेक्स‘ पहलू को कम करना और छात्रों को अधिक लचीलापन देना है।“
विशेष श्रेणियों के लिए विशिष्ट प्रावधान
इस नीति में विशेष श्रेणियों के लिए कुछ प्रावधान भी हैं:
- Sports Candidates: जिन छात्रों के खेल प्रतियोगिताओं की तिथियाँ परीक्षा से टकराती हैं, वे दूसरे प्रयास में बैठ सकते हैं।
- CWSN (Children With Special Needs): इन छात्रों को दोनों परीक्षाओं में सभी विशेष सुविधाएँ प्राप्त होती रहेंगी।
- Winter-bound Schools: ये स्कूल दोनों में से किसी भी चरण के लिए परीक्षा का चुनाव कर सकते हैं।
आंतरिक मूल्यांकन केवल एक बार किया जाएगा
आंतरिक मूल्यांकन, जो छात्रों के समग्र मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, साल में केवल एक बार, पहले परीक्षा से पहले किया जाएगा। इसका उद्देश्य मूल्यांकन प्रक्रिया को सरल बनाना और छात्रों और शिक्षकों पर काम का बोझ कम करना है।
परीक्षाओं की समय-सीमा और अनुसूची
पहली बोर्ड परीक्षा फरवरी के मध्य से शुरू होगी, जैसा कि वर्तमान में होता है। दूसरी परीक्षा मई में आयोजित होगी। पहली परीक्षा के परिणाम अप्रैल में जारी होंगे और दूसरी परीक्षा के परिणाम जून में।
परीक्षा संरचना और पाठ्यक्रम कवरेज
किसी भी परीक्षा चरण में पाठ्यक्रम या परीक्षा पैटर्न में कोई बदलाव नहीं होगा। दोनों परीक्षाएँ शैक्षिक वर्ष के पूरे पाठ्यक्रम को कवर करेंगी, और अध्ययन योजना अपरिवर्तित रहेगी।
परीक्षा पंजीकरण और परिणाम प्रोटोकॉल
सभी छात्रों को पहले परीक्षा के लिए List of Candidates (LOC) में शामिल किया जाएगा। दूसरे प्रयास के लिए अलग से LOC की आवश्यकता होगी; इस चरण में नए उम्मीदवार नहीं जोड़े जा सकेंगे।
कम दबाव, उच्च लचीलेपन वाले मॉडल की ओर बढ़ना
यह दो बार परीक्षा प्रणाली NEP-2020 के तहत एक कदम आगे बढ़ने की दिशा में है। CBSE का उद्देश्य छात्रों को बिना किसी दंड के दूसरा अवसर देना है, जिससे वे सालभर के शिक्षण को अधिक अच्छे से समझ सकें और आत्ममूल्यांकन कर सकें।
डॉ. भारद्वाज ने कहा, “यह बदलाव सिर्फ शुरुआत है, और CBSE धीरे–धीरे मॉड्यूलर परीक्षा और विभिन्न प्रश्न प्रकारों को भी लागू कर सकता है, जिससे परीक्षा में केवल रटने की बजाय वास्तविक क्षमताओं का मूल्यांकन हो।“
निष्कर्ष
2026 से शुरू होने वाली दो बार बोर्ड परीक्षा प्रणाली CBSE के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। यह व्यवस्था अन्य राज्य और राष्ट्रीय बोर्डों के लिए एक मिसाल बन सकती है और उन्हें अपनी परीक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए प्रेरित कर सकती है।