
संभल के चर्चित ASP अनुज चौधरी ने प्रमोशन के बाद प्रेमानंद महाराज से पूछा यह अहम सवाल
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चर्चित पुलिस अफसर Anuj Chaudhary को हाल ही में प्रमोशन मिला है। वह डीएसपी से ASP (Assistant Superintendent of Police) पद पर पदोन्नत हुए हैं। प्रमोशन के बाद Anuj Chaudhary ने वृंदावन स्थित श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम में संत Premanand Maharaj से मुलाकात की और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया।
प्रमोशन के बाद वृंदावन पहुंचे Anuj Chaudhary
संभल जिले के सर्कल अफसर (सीओ) रहे Anuj Chaudhary ने रविवार, 10 अगस्त 2025 को वृंदावन में स्थित श्री Premanand Maharaj के आश्रम में पहुंचकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान उन्होंने पुलिस सेवा में आने वाली चुनौतियों, न्यायिक दुविधाओं और नैतिक दायित्वों पर गहन चर्चा की। Anuj Chaudhary की यह पहल एक मिसाल प्रस्तुत करती है कि कैसे पुलिस अफसर अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत रहते हुए न्याय, समाज और धर्म के दृष्टिकोण से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।
Anuj Chaudhary का सवाल: न्यायिक दुविधाएं
Anuj Chaudhary ने Premanand Maharaj से एक गंभीर सवाल पूछा। उन्होंने पूछा, “जब किसी मामले में वादी पक्ष का कहना है कि उसके बेटे की हत्या की गई है, लेकिन कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं होते और आरोपी का कहना है कि वह घटनास्थल पर था ही नहीं, तो ऐसे में क्या किया जाए?” यह सवाल न्यायिक दुविधाओं और पुलिस कार्रवाई के प्रति उनकी गंभीरता को दर्शाता है।
Anuj Chaudhary ने बताया कि ऐसे मामलों में पुलिस पर अक्सर लापरवाही या पक्षपात का आरोप लगता है। लेकिन साक्ष्य के अभाव में कार्रवाई करना भी गलत प्रतीत होता है। इस जटिल समस्या पर संत Premanand Maharaj का मार्गदर्शन काफी प्रभावी था।
Premanand Maharaj का उत्तर: न्याय का रास्ता
इस सवाल पर संत Premanand Maharaj ने जवाब दिया कि जब रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है, तो उस पर कार्यवाही करनी चाहिए। उनका कहना था कि आप अंतर्यामी नहीं हैं जो पर्दे के पीछे की बातें जान सकें। इसके बावजूद, पुलिस को अपने संसाधनों जैसे साक्ष्य और विवेचना के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
Premanand Maharaj ने यह भी बताया कि कभी–कभी ऐसे मामलों में आरोपी निर्दोष होते हुए भी सजा पा सकते हैं, और यदि आरोपी दोषी होता है, तो वह बचकर नहीं जा सकता। यह जीवन के मूल सत्य के साथ जुड़ा हुआ है कि कर्मों का फल मिलता है। जो भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के अपराध में लिप्त होता है, उसका पाप समय पर सामने आ ही जाता है।
कर्म और प्रारब्ध पर संत का दृष्टिकोण
Premanand Maharaj ने आगे कहा कि यदि आरोपी निर्दोष है और उसे सजा मिल रही है, तो यह उसका प्रारब्ध है, जो किसी पिछले कर्म का परिणाम हो सकता है। वहीं, यदि आरोपी अपराधी है, लेकिन सजा से बच जाता है, तो भी उसका पाप एक दिन उजागर हो ही जाएगा। महाराज ने बताया कि वर्तमान में निष्पाप व्यक्ति भी यदि कोई गुप्त पाप कर रहा है, तो वह अंततः सामने आ जाएगा।
संत Premanand Maharaj का यह दृष्टिकोण कर्म और न्याय के बीच संतुलन को समझाता है, और यह हमें यह सिखाता है कि हर कार्रवाई का एक परिणाम होता है, चाहे वह तत्काल दिखाई दे या नहीं।
Anuj Chaudhary का पुलिस सेवा में योगदान
Anuj Chaudhary का पुलिस सेवा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वह उत्तर प्रदेश पुलिस में स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती होने वाले पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने अपनी पहलवानी की ट्रेनिंग गुरु हनुमान अखाड़ा, दिल्ली से ली थी। Anuj Chaudhary ने 2004 एथेंस ओलंपिक में 84 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें अर्जुन पुरस्कार (2005), यश भारती पुरस्कार (2016) और लखनऊ केसरी जैसे सम्मान भी मिल चुके हैं।
Anuj Chaudhary की पृष्ठभूमि और उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि उन्होंने पुलिस सेवा में अपने करियर को जिस तरह से चुना है, वह एक मिसाल बन चुका है।
Anuj Chaudhary की शिक्षा और मेहनत
Anuj Chaudhary का जन्म 5 अगस्त 1980 को उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर जिले के बदहरी गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा गुरु हनुमान अखाड़ा से पहलवानी की। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें ओलंपिक स्तर तक पहुँचाया और बाद में पुलिस सेवा में उनकी पहचान बनी।
वह उत्तर प्रदेश पुलिस में स्पोर्ट्स कोटे से भर्ती हुए और बाद में अपनी कड़ी मेहनत और कर्तव्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण प्रमोशन के जरिए ASP (Assistant Superintendent of Police) बने।
पुलिस सेवा में आने वाली चुनौतियां
संभल जिले के चर्चित पुलिस अफसर Anuj Chaudhary का मानना है कि पुलिस सेवा में आने वाली चुनौतियां केवल अपराध से जुड़ी नहीं होतीं, बल्कि न्यायिक दुविधाएं और नैतिक जिम्मेदारियां भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती हैं। उनके अनुसार, यह जरूरी है कि पुलिस अफसर हर मामले को निष्पक्षता से देखें और उसमें न्याय का पालन करें।
चाहे वह अपराधी को सजा दिलवाना हो या निर्दोष को न्याय दिलवाना हो, पुलिस अधिकारी को हमेशा संतुलित और विवेकपूर्ण निर्णय लेना चाहिए। यही कारण है कि उन्होंने Premanand Maharaj से मार्गदर्शन लिया और अपने दायित्वों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को और अधिक स्पष्ट किया।
निष्कर्ष
संभल के चर्चित ASP (Anuj Chaudhary) की Premanand Maharaj से मुलाकात ने यह साबित कर दिया कि वह केवल एक कुशल पुलिस अधिकारी ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार और विचारशील व्यक्ति भी हैं। उनका सवाल और संत का जवाब यह दिखाते हैं कि पुलिस अधिकारियों के लिए नैतिकता और न्याय हमेशा सबसे ऊपर होने चाहिए।
उनकी यह पहल एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि पुलिस अफसर को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते हुए धर्म, न्याय और नैतिकता का पालन करना चाहिए। उनके इस कदम से यह संदेश भी मिलता है कि पुलिस सेवा के हर पहलू को गंभीरता से लेना चाहिए, चाहे वह अपराधी को सजा दिलवाना हो या निर्दोष को न्याय दिलवाना हो।
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